जिन्दादिली

मातम की तरह नहीं 
ज़िन्दगी को हर पल
को एक जशन की तरह जियो

रोना गर पल पल है नसीब में तो
हर पल अपने को हँसाकर जियो

इस तरह जियो की मौत से पहले ही मरो नहीं
गर जीना चाहते हो तो ज़िन्दगी को तो एक एक  पल जीयो

क्यौकी जीने के लिए तो ये ज़िन्दगी है
मौत तो है ही सत्य मरने के लिए
इस सत्य को झुठला कर
भुला कर जीयो

अपने से ही अपने को जीत कर जीयो
हर अश्क को बहा दो नहीं तो हर अश्क को पीयो
इतना भी नहीं पीयो इन अश्को को
एक  समुद्र दिल में ही बन जाए
और समुद्र में डुबो दो तुम अपने को
उस समुद्र को मिटा कट एक  नदी की तरह जीयो

ज़िन्दगी तो है ही ए दोस्त जीने के लिए
इसे निष्फल होकर सम्पूर्णता से जीयो....         

शालिनी गुप्ता




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