नया सफर है नई है राहें
अनजानी डगर है मंजिल किधर है
चलकर राहों पर मंजिल को ढूंढना होगा
सफर है कठिन पर इस सफर पर चलना तो होगा
मुश्किल है मगर संघर्ष भी थोड़ा करना होगा
ज़िंदगी है अनभुझी पहली ऐसे हल तो करना ही होगा
विश्वास और उम्मीद की किरण से
अपने सूरज तक पहुंचना होगा
हारकर भी खुद से हमेशा जितना ही होगा
ज़िंदगी के इस सफर पर चलकर
अपनी मंजिल तक खुद पोहचना ही होगा
शालिनी गुप्ता
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