मोहब्बत


चलो एक बार फिर एक दूजे से मिलते है
एक दूजे की कमीओ को भूलकर
एक दूजे की खुबीओ को देखकर
फिर एक बार साथ चलते है
 
तिनके तिनके बुनकर फिर प्यार का घरोंदा बनाते है
और अपने आशियाँ को पाते है
बोहत कुछ सीखा एक दूजे से
चलो अब और कुछ नया सीखते है
 
बोहत कुछ पाया एक दूजे से
फिर एक दूजे तो कुछ देते है
कमी तुझ में भी है
कमी मुझ में भी है
नया सफर नई शुरूवात
फिर एक बार करते है
चलो एक बार फिर एक दूजे से मिलते है

खुदा ने बनाया जो साथ
फिर उस साथ को जीते है
चलो फिर हमसफ़र बनकर
अपनी नई मंजिल की और चलते है

कमी तुझ में भी है
कमी मुझ में भी है
सम्पूर्ण तो कोई नहीं होता
कमियों से सिखकर पूर्ण जिंदिगी को करते है
चलो एक बार फिर एक दूजे से मिलते है

शालिनी गुप्ता

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