कुर्सी

हमारा धर्म चला गया
हमारा ईमान चला गया
हमारा गौरव चला गया
हमारी मानवता मर गई

संस्कार पीछे , सदियों पीछे छुट गए
आत्मा शरीर बन गई
सजावट मैं बहाकर अपनी लग गई

किया प्रचार हमने की, हमारा एक ही वादा
बातें कम काम ज्यादा
यूँ काम मैं रखा ही क्या है
बातो का अपना ही मजा है

यूँ मुर्ख जनता से पूछा
जो हमें सत्ता मैं लायी
हमने क्या किया, क्या किया
सिर्फ़ बातें ही बनाई ,सिर्फ़ बातें ही बनाई

आज सत्ता मैं हम हैं
बाते बनाना हमारा धर्म है
ईमान है, गौरव है, शान है
इस तरह कुर्सी को बचाए रखना
एक स्थिर सरकार की पहचान है

______________राज गुप्ता

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