तू रक्षक, तू ही रखवारा

तूने ही बिगाड़ा है 
अब तू ही संवारेगा 
तेरे नाम से जीवन का पल पल यह गुजारा है 

आस  है तू मेरी 
विश्वास हमारा है 
तूने ही हराया है 
अब तू ही जितायेगा 

तेरे नाम से जीवन का पल पल यह गुजारा है 
तेरे ही चरणों में अब मेरा सहारा है 
मैं दास हूं तेरा दाता तू हमारा है 
तू जो अपना फिर कौन पराया है 
बिन तेरे कहां जाऊं ना कोई सहारा है 
तू रक्षक है मेरा तू ही रखवारा है 
तेरे नाम से जीवन का पल पल यह गुजारा है 

तेरी ही कृपा से जीवन ये हमारा है 
तू पास है जो मेरे फिर कहां अंधियारा है 
तेरी ही रोशनी से रोशन यह जहां सारा है 
तेरे ही चरणों में जीवन यह गुजारा है 

शालिनी गुप्ता 

बहती जीवन धारा

हर रात अंधियारी है
हर दिन उजियारा है
हर निराशा अंधियारी है
हर आशा उजियारा है
हर नाउम्मीदी अंधियारी है
हर विश्वास उजियारा है

जीवन का यही सार ये सारा है
सत्य है जीवन का यही ये सारा है

पानी की तरह बहती ये जीवन धारा है
रुकता नहीं कुछ भी ना कुछ कभी ठहरा है
रोशनी सूरज की और रात का अँधियारा दोनों का ही संदेश ये सारा है

समय का चक्र चलता ये यह सारा है
जो गम और खुशियों दोनों का साँझा बटवारा है
रोक नहीं सकता कोई प्रकृति के नियमों को
खेल ये प्रकृति के नियमों का सारा है
चमत्कार भी होते हैं अगर विश्वास रखो खुदा पर
जिंदगी का खेल ये सारा है
गर हार हमारी है तो जीत का विश्वास भी हमारा है


शालिनी गुप्ता

ठहराव

हर उन्मुक्त परिंदे को आसमां चाहिए
इसी तरह हर इंसान को एक पहचान चाहिए
आसमां है परिंदों और इंसा दोनों के लिए
बस हर किसी को एक उड़ान चाहिए

इंसां भी परिंदो की तरह उन्मुक्त होकर ही जीना चाहता है
न कोई बंधन न कोई बेचैनी
इंसां भी तो बस उड़ना ही चाहता है

उड़ान चाहे विचारो की हो
चाहे कदमो की हो
बस हर चीज़ को छोड़कर
हर कोई अपने आसमां को छूना चाहता है
जीना चाहता है खुलकर और
बस अपने मकसद को छूना चाहता है
  
परिन्दे तो ज़मीं पर आते है कभी कभी
पर इंसां तो आसमां में ही उड़ना चाहता है
अपना अस्तित्व और अपना वज़ूद पाने के लिए ज़मीं को छोड़ना चाहता है

आसमां को छूने के लिए परिंदो की तरह ज़मीं को भी अपनाना होगा
उड़ते उड़ते वह भी बनाते हैं घरौंदा अपने लिए इसलिए
इंसान को भी घरौंदा तो बनाना होगा
आसमां को छूने के लिए जमीन पर भी तो कदमों को लाना होगा और
अपना एक आशियां बना फिर अपने आसमां को पाना होगा

शालिनी गुप्ता 


  


अंदाज़े ज़िंदगी

ज़िंदगी तुझे बस अब जीना चाहती हूँ
बादल है भी तो गम के बादलों को हटाकर
उन्हें बारिश की बूंदों  से भिगोना चाहती हूँ
हर छोटी छोटी खुशियों को संजोना चाहती हूँ
सब कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहती हूँ
ज़िंदगी तुझे बस अब जीना और जीना चाहती हूँ

ज़मीं पर पैर रखकर आसमां की ऊँचाइयों को छूना चाहती हूँ
ज़िंदगी तुझे बस अब जीना चाहती हूँ
ख्वाब कुछ ऐसे देखें भी नहीं पर जो भी है
उन  ख़्वाबों को सच होते देखना चाहती हूँ
प्यार से बढ़कर तो कुछ भी नहीं
बस उसी प्यार को थामकर चलना चाहती हूँ
ज़िंदगी तुझे बस अब जीना चाहती हूँ

मुश्किल तो है पर नामुमकिन नहीं
रास्ता तो है गर मंजिल भी नहीं
इसलिए राह पर चलना चाहती हूँ
ज़िंदगी तुझे बस अब जीना चाहती हूँ

शालिनी गुप्ता 





रंगबिरंगी ज़िंदगी

ज़िंदगी नाम है गर, संघर्ष और द्वन्द का
तो मंजिल तक हमें खुद ही जाना है
खुद को ना परेशां कर , खुद को ना बेचैन कर
ज़िंदगी को अभी तो थोड़ा ही जाना है 

राहें मुश्क़िल भी होंगी
मंजिल दूर भी होगी
पर कदमो को हमें तो हमेशा आगे ही बढ़ाना है 

उदासी और मायूसी को भी अपनी हमें खुद ही तो मिटाना है
ज़िंदगी सब कुछ नहीं देती
हमें ज़िंदगी से खुद ब खुद लेते जाना है 

बाँट दे खुशियाँ सबको 
ग़मो को भी तो झोली में अपनी सजाना है
सूरज की तपन के बाद बारिश की बूंदो के अहसास को
तभी तो हमने जाना है 

हाँ मुश्किल तो है ये सफर
पर इस सफर को हमें हँसते हँसते हंसी बनाकर बिताना है 
ज़िंदगी में, मुश्किलें तो है थोड़ी
पर आंसा भी उन्हें हमें खुद ही बनाना है

हारना नहीं हमें किसी से, चाहे हालत हो या मुसीबतें 
हमें हर राह पर बस आगे बढ़ते जाना है 
और ज़िंदगी के इस सफर को आसां बनाना है 

शालिनी गुप्ता 


आँगन की बहार

तूने मुझे संवारा
तूने मेरा घर संवारा
बिन तेरे सूना मेरा घर बार है
तेरे होने से घर में मेरे बहार है 

हर त्यौहार सूना है बिन तेरे 
तेरे घर में होने से  
सजा मेरा हर त्यौहार है 

सफलता की सीढ़ियों पर 
चलना शुरू किया है तूने 
ऊँचाइयों और बुलंदियों पर पहुंचना है 
तुझे  अभी बहुत  सोच समझकर 
हर राह पर चलना है 
मुश्किलें भी होंगी राहों में थोड़ी 
पर हाथ थाम कर हमारा 
तुझे हर मुश्किल से गुजरना है 

दुआ है आरज़ू भी ये है हमारी 
तू खुश रहे हमेशा 
तुझे हमारी हर खुशियों को भी खुश रखना है 

ए प्यारी, नन्ही सी बेटी हमारी 
क्या दू मै तुझे 
तूने मुझे सब कुछ दिया 
हर ख़ुशी हर ख्वाब तूने मेरा पूरा किया 

अब तुझे अपनी मंजिल पर पहुंचना है 
सफलता बाहें थामे तेरी 
और तुझे आगे बढ़ना है 

तूने मुझे संवारा 
तूने मेरा घर संवारा
बिन तेरे सूना मेरा घर बार है
तेरे होने से घर में मेरे बहार है 

शालिनी गुप्ता 

भजन - मेरे सांवरे

मेरे सांवरे, मेरे सांवरे
जप लूँ जप लूँ तेरा नाम रे 

देखूँ जब जब सूरत तेरी 
तूने कर दिया है दीवाना 
तेरी मूरत मन में मेरे  रहती 
हर पल हर काम में 
तेरी मूरत मन में मेरे  रहती 
हर पल हर धाम में 

तेरी जिस पर पड़  जाए दृष्टि 
तो हिल जाती है धरती 
जग में गूंजे तेरा नाम रे 
जप लूँ जप लूँ तेरा नाम रे 

मेरे सांवरे, मेरे सांवरे,
जप लूँ जप लूँ तेरा नाम रे 

तेरा होकर है मुझे रहना 
मुझे तू अब कुछ नहीं कहना 
तेरी भक्ति मेरी शक्ति 
तेरा जप लू मैं नाम रे 

मेरे सांवरे, मेरे सांवरे,
जप लूँ जप लूँ तेरा नाम रे 

शालिनी गुप्ता 

जीत विश्वास की

वक्त के आगे सब हार गये है
वक्त के सामने इंसां बेचारा हो गया है 
बेबस लाचार और बेसहारा हो गया है 

कब ये वक्त बीतेगा 
कब ये तूफां खत्म होगा 
कब तक आखिर खुदा
इंसां का यूं ही इम्तिहां लेगा 

कब तक यूं ही इंसां  
इन हालातो का सामना करेगा 
इंसां ही तो है, बेचारा 
कब तक यूं  ही इस वक्त के बीत जाने का इंतजार करेगा 

पर वक्त कभी एक सा नहीं रहता 
बहती नदिया की तरह ये भी थमा नहीं रहता 
इंसां  को तो चलते रहना होगा 
जीवन कभी ठहरता नहीं है 
इसी तरह इंसां  भी कभी हारता नहीं है 

गिरता है, उठता है फिर हालातों का सामना भी करता है 
तूफां के चले जाने और वक्त के बीत जाने का इंतजार करता है 
हालात जो आज है, वो न कल रहेंगे 
हर अँधेरे के बाद सहर है 
ये इंसां  दोहराते रहेंगे 

फिर बनेगा आशियां 
फिर उजाला होगा 
इन नाकाम कोशिशों को तो 
कामयाब होना ही होगा 

शालिनी गुप्ता 

मातृत्व


माँ होने का पहली बार तूने ही अहसास कराया 
जब लिया तुझे  पहलू में, तो ममता को है तूने जगाया 
जब से आयी जीवन में, तूने मेरे घर आँगन को महकाया 
माँ का दर्द क्या होता है ये माँ बनने पर ही समझ में आया 

माँ गर, जननी है तो बच्चे उसके जीने का अहसास है 
माँ की आँखों के तारे और माँ के दो हाथ है 
बच्चे माँ से नहीं माँ बच्चों से ही बनती है 
उसके जीवन की परिभाषा उन्हीं से निकलती है 

माँ ख़ुश है गर तो ये, इस बात की पहचान है 
कि उसके बच्चे ही उसकी जां है 
बच्चे गर, सफल है तो सफल होती है एक माँ 
दुनिया में इसी से उसकी पहचान होती है 
माँ में बच्चो की और बच्चो में माँ की जां होती है 

हर बच्चा इंसा के दर्द को समझें 
गर, उसमे इंसानियत की प्रीत है 
यही हर माँ की जीत है 

बच्चे गर पूर्ण है माँ के साथ 
तो माँ भी बच्चो के बिना कहाँ संपूर्ण  है 

माँ गर, नियामत है खुदा की 
तो बच्चे भी उसी की ही दी सबसे बड़ी देन है 

शालिनी गुप्ता 


अहसास प्यार का

मेरा श्रृंगार तुझ से है
मेरे माथे की बिंदिया की चमक तुझ से
मेरी पायल की झंकार तुझ से है
मेरा परिवार तू, मेरा घरबार तू
मेरा तो संसार तुझ से है

मेरा प्यार तू, मेरा इकरार तू
मेरे ऑंगन की बहार तू
मेरे ऑंगन का तो गुलजार तुझ से है

तेरी आँखों में प्यार बन कर रहती हूँ
तेरे दिल में जान बनकर रहती हूँ
मेरा तो दिल और जां तुझी से है

और क्या कहूँ हमसफर मेरे
मेरे जीवन की झंकार तू
मेरा हर श्रृंगार तू
मेरा तो सारा संसार तुझी से है

शालिनी गुप्ता 








वक्त की जंग

वक़्त फिर तूफ़ा का आया है 
फिर वही भयानक मंजर छाया है 

हर इंसां को बच कर चलना है 
आँधियों के रुख को मोड़ना है 

फिर एक वीर सिपाही की तरह 
युद्ध के  मैदान पर खड़े होकर 
इस जंग को तो अब लड़ना है 

जीत होगी ये विश्वास रखना है 
उम्मीद का हाथ अब नहीं छोड़ना है 
मायूसी भी है छाई 
उदासी है घर घर आयी 

फिर भी खुशियों का इंतज़ार तो करना है 
यू इंसां को नहीं हार कर चलना है 

आस का, विश्वास का, दामन थामे रखना है 
डर कर नहीं, लड़ कर, इस जंग को जीतना  है 

अब जिंदगी  का सामना आत्मविश्वास 
और खुद के साथ से ही करना है 
जीतना है खुद से हर पल 
और खुद को ही जीतना है 

शालिनी गुप्ता 

अनुभूति

मान हो तुम मेरा
तुम मेरा अभिमान हो
होठों की मुस्कराहट हो मेरी
तुम ही जान, तुम ही जहां हो

जीने की चाहत तुम हो
जीने का अहसास तुम हो
मेरी तो हर सांस तुम हो

प्यार से अपने जीना सिखाया
जीने का अंदाज़ दिखाया
हार कर खुद को तुमने
मुझे जीतने का अहसास कराया

ख़त्म थी ज़िंदगी मेरी बिन तुम्हारे
तुमने इसको शुरू करके
हाथ में मेरे, अपना हाथ थमाया

और क्या मांगू तुमसे
तुम ही मेरा सब कुछ
तुम ही  मेरा पूरा जहां हो

आँखों में नये सपने दिखाए
हर सपने को पूरा कराया
ज़िंदगी को हर पल अधूरा होते हुये
तुमने इसे सम्पूर्ण बनाया

हर पल ज़िंदगी को जीया
मेने तुम्हारे साथ
तुमने हर पल सुनहरा बनाया

तुमने दिया सब कुछ मुझे
मेरा एक वजूद बनाया


शालिनी गुप्ता


जीने की चाहत

क्यूँ नहीं अपने से ही लड़ पाता इंसां
क्यूँ अपने से ही हार जाता है इंसां
ज़िंदगी तो नियामत है
ये देन है खुदा की
क्यूँ उसे नहीं जी पाता इंसां

दर्द गर जीने में है
दर्द तो मरने में भी है
फिर क्यूँ नहीं ये दर्द सह पता इंसां

हाथ तो बहुत है हौंसले देने के लिए
क्यूँ फिर अपना ही हाथ नहीं बढ़ा पाता इंसां
संघर्ष है तो करो उसे
क्यूँ उस संघर्ष से घबराता है इंसां

अपने लिए नहीं तो
दूसरो  की खुशी के  लिए ही
क्यूँ नहीं कुछ कर जाता इंसां

किसी की दुआ बनकर
किसी की आँखों का सपना बन
क्यूँ नहीं किसी की मुस्कराहटों में रह पता इंसां

मौत तो कोई हल नहीं किसी भी समस्या का
क्यूँ नहीं इस समस्या का समाधान निकाल पाता इंसां

मकसद तो बहुत है जीने के लिए
क्यूँ नहीं एक मकसद बना पाता इंसां

क्यूँ यूं, ज़िंदगी से भागकर
कहाँ जाता है  इंसां
क्यूँ नहीं अपने से ही लड़ पाता इंसां

शालिनी गुप्ता 

मेरी बेटी

आज मेरी बेटी, बड़ी हो गई है
थोड़ी अल्हड़, थोड़ी नकचढ़ी हो गई है
संभाला था जिसको दामन में अपने
आज वो मेरे दामन से बड़ी हो गई है

सहारा बनकर वो आज मेरे साथ खड़ी हो गई है
उजाला है वो मेरे घर का
हर अँधियारे को मिटाकर
वो एक सूरज की किरण हो गई है
आज मेरी बेटी बड़ी हो गई है

उंगलियां पकड़कर चलना सिखाया था जिसे
आज वो हाथ हमारा थामकर खड़ी हो गई है
हर मुश्किलों को पर कर वो
जिंदगी की सीढ़ियों पर चढ़ती उतरती
ज़िंदगी में अब और भी परिपक्व हो गई है

ज़िंदगी के हर सफर में
मुस्कुराकर चलना सिखाया जिसे
वो इस सफर पर अब
हंसकर चलना शुरू हो गई है
आज मेरी बेटी बड़ी हो गई है


शालिनी गुप्ता


जीवन के रंग

कभी कभी मायूसी छा जाती है
कभी कभी उदासी भी आ जाती है

ज़िंदगी कहाँ तू एक सी रह पाती है
कभी धुप कभी छाँव की तरह आ जाती है
मौसम की तरह रंग बदलते है तेरे भी
तू भी कहाँ एक रंग ला पाती है
कभी सुख कभी दुःख  कितने पहलु है तेरे
तू भी कहाँ एक रुख रख पाती है

ये इंसा ही तो है
जो तेरे हर रूख का सामना करता है
कभी गिरता है, कभी बिखरता है
फिर उठकर अपने होंसले से 
तुझे जीता है

तुझे जीने की ख्वाहिश को नहीं कभी तोड़ता है
तेरे हर पहलु, तेरे हर रुख का सामना भी करता है
तेरे दामन में ही अपना सर रखकर रोता है

जीता है तुझे खुद में
और जीने  का अंदाज़ औरो को देता है
उदास होकर भी मायूस होकर भी
किसी भी रूप में
तेरे हर रूप को जीता है

शालिनी गुप्ता

बढ़ती दूरियां

बेज़ुबाँ  सा सारा  जहां  हो गया है.       
इंसा से ही इंसा के दरमियां फ़ासला यहां हो गया है      

हालात तो ये ना थे
इंसा  से जुदा, तो इंसा ना थे
कुछ तो था अहसासों का, जज्बातों का सिलसिला
पर आज का ये वक्त हमें कहाँ  ले चला

कुछ तो इंसा खुद ही अलग हो चला था
आज वक़्त ने उसे खुद ही अलग कर दिया
खुद अपने ही नामोनिशां छोड़ कर जाता था इंसा
आज तो  वक्त ने इंसा  का ही नामोनिशां कम कर दिया हैं

इससे इंसा को सीखना होगा 
कि आपस मे हमेशा मिलकर ही  चलना होगा  
यू दूरियां, यूँ फ़ासले ना बढ़ाए 
जो इंसा ही इंसा को देखने को  तरस जाये

वक़्त जो आज हैं वो कल ना होगा 
ये इंसा को अब समझना होगा 
प्यार को, जज्बातों को, अहसासों को बढ़ाए
ताकि कल दूरियां बना कर खुद  
एक दूसरे से ही जुदा ना हो जायें 

बेजुबां सा सारा जहां हो गया हैं 
इंसा से ही इंसा के दरमियाँ फ़ासला यहां हो गया हैं 


शालिनी गुप्ता 

उम्मीद की किरण


अँधेरे को मिटाकर
रोशनी की किरण को  बाहर आना होगा 
युद्ध  बाहर भी है, अंदर भी है 
मन के इस युद्ध को हार कर भी जीत जाना होगा 

इस युद्ध को, इस द्वंद को अपने से भी जीत जाना होगा 
निराशा को हराकर, आशा को जीताकर 
खुद से ही खुद को जीताना होगा 

मोत के सत्य को देखकर भी 
ऐ ज़िंदगी तुझे तो जी जाना ही होगा 

पक्षियों से कला जीने की सीखो 
घरौंदा बार बार टूटता है उनका 
पर होंसला नहीं छूटता उनका 

हर बार टूट टूट कर भी घरौंदो को बना लेते है 
ये इंसां है जो हौसलों  को हरा लेते है 
उनसे सीखकर ही अपने घरौंदो को 
टूटकर भी बनाना सीखना ही होगा 
ऐ ज़िंदगी तुझे तो जी जाना ही होगा 

उम्मीद के दिये को अभी बुझने नहीं देना होगा 
सैनिक जो खड़े है सरहदों पर मौत की 
उनके होंसले को देखकर 
मौत को जीतकर उनकी तरह ही जीना होगा 
सरहदों को अपनी बचाना होगा 
घरौंदो को अपने बनाना होगा 

कब तक यूं मर-मर के जीये 
उम्मीद के, आशा के दिये को जलाना होगा 
ज़िंदगी तुझे घुट घुट कर नहीं 
खुल कर अब तो जी जाना होगा 
उम्मीद के दियों को जलाना होगा 
ज़िंदगी तुझे ज़िंदादिली से 
अब जी जाना होगा 

शालिनी गुप्ता 


समर्पण [ ईश्वर भक्ति]

कोई भी नहीं हमारा
एक तेरा ही सहारा
कोई भी नहीं हमारा
एक तेरा ही सहारा

सारी मुशिकल हल हो जाती
विपदा कोई नहीं है आती
हर मुसीबत से उभारा

एक तेरा ही सहारा
कोई भी नहीं हमारा

मन मे तेरा हो बसेरा
ना रहे कोई अँधेरा
तेरे नाम का हो उजियारा

एक तेरा ही सहारा
कोई भी नहीं हमारा

तू जो है गर साथ मेरे
मे क्यूँ  तन्हा ही रहूँ
तेरे साथ से है गुजारा
तेरे पास है जग ये सारा

एक तेरा ही सहारा
कोई भी नहीं हमारा
एक तेरा ही सहारा

शालिनी गुप्ता 

जीवन एक संघर्ष

जिंदगी आसां नहीं है
पर उसे न मुश्किल बनाना होगा
गर संघर्ष है हर कदम पर
तो होंसलो को भी चंद बढ़ाना होगा

गर थक भी जाये हम अगर
बिखर  भी जाये, हम अगर
पर मंजिल को तो हमें पाना होगा

आसां नहीं है ये सफर
तो सफर को भी रंगी बनाना होगा

ठोकरे ही सीखाती है जीवन जीने का हुनर
इससे डरकर नहीं हमे बैठ जाना होगा
ठोखरो से ही सीखकर
हमें आगे बढ़ जाना होगा

रुकना नहीं, थमना नहीं
यही है जीवन का फलसफ़ा
इसे हमें अपनाना होगा

ना डरकर, ना मरमरकर
हमें जिंदगी की डगर पर
जिंदादिली से चलते जाना होगा 

जिंदगी आसां नहीं है
पर उसे न मुश्किल बनाना होगा

___शालिनी गुप्ता 

प्रेम धुन [कृष्णा भक्ति]

तू मेरा है सांवरियां
मै तेरी हु बावरियां
किस और मैं कैसे जांऊ
तू ही मुझको बतलादे

किस और मैं कैसे आऊं
तू ही मुझको समझादे

तुझे मेवा खीर खिलाऊ
या माखन मिश्री लाऊँ
किस चीज़ का भोग लगाऊं
तू ही मुझको बतलादे

राधा की पायल लाऊँ
मीरा की वीणा बजाऊ
किस चीज से तुझे रिझाऊ
तू ही मुझको बतलादे

तुझे मन मे अपने बसाऊ
तेरी भक्ति मई खो जाऊ
कैसे मै तुझको पाऊ
तू ही मुझको बतलादे

तुझे मोहन कहके पुकारू
कान्हा कान्हा चिल्लाऊं
किस नाम से तुझे  बुलाऊ
तू ही मुझको बतलादे

कैसे मै तुझको पाऊ
तू ही मुझको समझादे
कैसे मैं तुझ तक आऊ
तू ही मुझको बतलादे

तू मेरा है सांवरियां


शालिनी गुप्ता





मेरा हमसफ़र

कभी ज़िंदगी में कोई कमी होने नहीं दी
आँखों में तूने कभी नमी होने नहीं दी

राहे कितनी भी मुश्किल क्यूँ ना हो
तूने ज़िंदगी में कोई मुश्किल होने नहीं दी

हर कदम साथ चला तू मेरे
कभी ज़िंदगी में तन्हाई होने नहीं दी

हर बात पढ़ ली मन के पन्ने की तूने
ज़िंदगी एक किताब बनने ही नहीं दी

पास हर पल रहा तू मेरे
दूर होने की तम्मना कभी होने ही नहीं दी

ज़िंदगी की हर खवाहिश पूरी की तूने
ज़िंदगी अधूरी होने ही नहीं दी

कभी ज़िंदगी में कोई कमी होने नहीं दी

शालिनी गुप्ता

एक मौहब्बत ऐसी भी

यूं तेरा ख़यालों मे आना
और आके ख्यालो मे
झट से चले जाना

मेरा तुझे भूलना चाहना
पर चाह कर भी तुझे न भुला पाना

यूं तो आसमां मे उड़ रहा हूँ मै
पर दिल मे तेरा ही ख्याल है
तू दूर होकर भी मेरे पास है
मैं तेरा और तू मेरा विश्वास है

यू तो कोलाहल भी है आस पास
और साथ मे  है एक नटखट बालक
उसकी अठखेलियों को समझती और संभालती उसकी माँ

उमड़ते घुमड़ते बादल भी है नील गगन मे
बिखेरते सौंदर्य आकाश मे

फिर भी दिल मे है तेरी बात
तू दूर होकर भी पास है
शायद मैं हु यहाँ आकाश मे
लेकिन दिल तो तेरे ही पास है

यूं तेरा ख़यालों मे आना
और आके ख्यालो मे
झट से चले जाना

राज गुप्ता



नई सुबह

जब छाता है परेशानिओं का बादल
सब कुछ जैसे खो सा जाता है
चाहे कुछ पल के बाद छट  जाये वो बादल

लेकिन उस पल से पहले के पलों में इंसान
अपना सब कुछ लुटा सा पाता है
उन पलों को जीना उसके लिए
बहुत मुश्किल सा हो जाता है

उन पलों में ना जाने वो क्या क्या कर जाता है
आँधी की तरह वह पल अपने साथ बहुत कुछ उड़ा ले जाता है
चैन, धैर्य, साहस, ये सब इन्स्सन के पास तब कहां रह पाता है

उन पलों से केवल अपने को घिरा पाता है
छटपटाता है,  तड़पता है और ना जाने क्या क्या हो जाता है

जब छाता है परेशानिओं का बादल
तब दुख की बारिश और
सुख का अभाव ही सिर्फ नज़र आता है

परेशानिओं में इंसां भटक सा जाता है
अपने से ही अपने को वह नहीं बहला पाता है
जाने कहाँ कहाँ वो जाता है

बहुत मुश्किल हो जाता है उस बादल को हटाना
बहुत मुश्किल हो जाता है इस दौर को जी पाना

पर फिर भी इंसां को चाहिए
परेशानिओं में ना खुद को वो बेचैन करे
उस परेशानी का ख़ुदबखुद समाधान करे

परेशानिओं के बादल छटने का इंतज़ार करना होगा
हर रात के बाद सहर है
इसलिए इस रात को उसे जीना होगा

और उन परेशानिओं को ख़ुदबखुद ही दूर करना होगा
कोई नहीं आता रोते हुए को हसाने को
कोई नहीं आता गिरते हुए को उठाने को

सब को  ख़ुदबखुद ही उठना होगा
खुद ही रो कर हँसना होगा
अपने को जीत कर ही हर इंसान को जीना होगा

शालिनी गुप्ता
 



 

ज़िंदगी एक ख्वाब

जरूरी तो नहीं इस ज़िन्दगी में 
हर इंसां को हर ख़ुशी मिले
यहाँ किसी को गर फूल है मिले 
तो किसी को काटें भी मिले

ये ज़रूरी तो नहीं हर किसी का बागवां ही खिले
कोई तड़पता है ज़िन्दगी के लिए
किसी को चाहते हुए भी मौत ना मिले

हर इंसान भाग रहा है अपने आप से यहाँ
अपना साया तक भी खोजने पर भी अपना सा ना मिले 

हर कोई संघर्ष कर रहा है दो  रोटी के लिए 
किसी को वो रोटी खा कर भी मन का सुकूं ना मिले 
ज़िन्दगी में ख़ुशी मिली तो गम भी सबको संग संग है मिले

कोई तो एक ऐसा इंसान हो
जो समंपूर्ण सुखी मिले

कोई प्यार के लिए जीता है 
किसी को चाहते हुए भी प्यार ना मिले

संघर्ष तो हर कोई कर सकता है
ज़रूरी तो नहीं की मंजिल हर किसी को मिले 
ख्वाव तो सजाते है सभी यहाँ 
पर सभी के तो ख्वाब ना सच होते मिले

अरमानो का गला सभी तो है दबोचे हुए
अपने लिए तो जीता भी हर कोई और मरता भी है
ज़िन्दगी तो वो है जिससे हर किसी को खुशी
और बस खुशी ही मिले

अपनी तो दुआ भी यही है आरजू भी यही है
तमन्ना भी यही है
जो जो चाहे उसे वो मिले
ज़रूरी तो नहीं इस ज़िन्दगी में 
हर इंसां  को हर खुशी मिले 
   
शालिनी गुप्ता        

आत्मसंतुष्टि

सब कुछ है इंसान के पास
पर सुकून कहा है
सब कुछ है फिर भी संतोष कहा है

इंसान से इंसान ही जलता है
इंसान से इंसान ही मरता  है
ये दोष कहाँ है

प्यार ही  ढूंडता है , प्यार ही मांगता है
पर इस शब्द का जैसे सिर्फ नाम ही नाम है
अर्थ कहा है

इंसान तो भाग रहा है सिर्फ दौलत के पीछे
और  किसी का कोई मकसद ही कहाँ है
चाहे मैं  ही सही, दोषी मैं  भी हूँ
मगर इन सवालों का अंत कहा है

क्या यही ज़िन्दगी और यही हालात है
अगर यही सब है तो
वो जज्बात, वो एहसास कहाँ है

जो हो किसी के लिए वो अरमान कहाँ है
सब कुछ है यहाँ मगर संतोष और सुकून कहाँ है

शायद ये आबो हवा का है असर
वर्ना ऐसे तो हालत ना थे
ऐसे तो इंसान ना थे

शायद ये दुनिया बदलेगी एक  दिन
जब इंसान दौलत को छोड़कर
खुद को ढूंढेगा, खुद को पायेगा
और खुद के ही नामो निशाँ  छोड़ कर जाएगा

शायद वो दिन आएगा
जब इन्सान यूँ तो दौलत से ना जाने जाएगा
वो इससे भी अलग अपनी एक पहचान बनाएगा
और अपने नाम से ही सिर्फ इस दुनिया में जीएगा
जाना जाएगा
और इस दुनिया से जाएगा

शालिनी गुप्ता



    
   

मकसद जिंदगी का

किसी के लिए जी कर तो देखो
जीने का मज़ा आ जायेगा

किसी के लिए मर कर तो देखो
तुम्हे जीने का अंदाज़ आ जायेगा

किसी के होंटों पर मुस्कराहट लाकर तो देखो
तुम्हे मुस्कुराना आ जायेगा.
और तुम्हे खुश रहना आ जाएगा,

ज़िन्दगी को किसी के लिए लगा कर तो देखो
तुम्हे ज़िन्दगी का मायना समझ आ जाएगा
तुम्हे जीने का मकसद मिल जाएगा

किसी के लिए फूल राहों पर खिला कर तो देखो
तुम्हे काटों का भी दर्द सहना आ जायेगा
और फूलों की तरह मुरझा कर भी खिलना आ जायेगा

किसी के लिए ज़िन्दगी मिटा कर तो देखो
तुम्हे मर कर भी जीना आ जायेगा
तुम्हे मर कर भी जीना आ जायेगा

शालिनी गुप्ता

     
 

जिन्दादिली

मातम की तरह नहीं 
ज़िन्दगी को हर पल
को एक जशन की तरह जियो

रोना गर पल पल है नसीब में तो
हर पल अपने को हँसाकर जियो

इस तरह जियो की मौत से पहले ही मरो नहीं
गर जीना चाहते हो तो ज़िन्दगी को तो एक एक  पल जीयो

क्यौकी जीने के लिए तो ये ज़िन्दगी है
मौत तो है ही सत्य मरने के लिए
इस सत्य को झुठला कर
भुला कर जीयो

अपने से ही अपने को जीत कर जीयो
हर अश्क को बहा दो नहीं तो हर अश्क को पीयो
इतना भी नहीं पीयो इन अश्को को
एक  समुद्र दिल में ही बन जाए
और समुद्र में डुबो दो तुम अपने को
उस समुद्र को मिटा कट एक  नदी की तरह जीयो

ज़िन्दगी तो है ही ए दोस्त जीने के लिए
इसे निष्फल होकर सम्पूर्णता से जीयो....         

शालिनी गुप्ता




अन्जान सफर

यह ज़िन्दगी है  एक अनजान डगर
कोई नहीं जानता किस मोड़ पर क्या हो जाए
बस इस अनजानी डगर पर चलते जाना है

यह ज़िन्दगी है  एक अनजान सफ़र
कोई नही  जानता
किस मोड़ पर किस मोड़ पर मिल जाए कोई अनजाना
और बन जाए हमसफ़र

बस इस सफ़र पर युही चलते जाना है
यह ज़िन्दगी है जैसे एक अनदेखी नज़र
कब कहाँ चली जाए ये नज़र
बस इन नजरो को नजरो से मिलाना है

ये तो खुदा ही जानता है
किस्मत का क्या अफसाना है
हमें तो इसे हर हाल में स्वीकार करते जाना है
अपने से ही जंग अपने से ही द्वंध
अपने से ही यह युद्ध करते जाना है

यह ज़िन्दगी है क्या इसे समझना, जानना और समझाना है
अभी तो इसे बहुत कम जाना है
अपने ही बन जाए कब बेगाने
और कब बेगानों में से ही अपनों को खोजना और अपना बनाना
यह ज़िन्दगी है अनजान डगर....      

शालिनी गुप्ता


माँ

जिंदगी की हर परिस्थिती को वो समझती है
जिंदगी की हर परिस्थिती, वो हमे समाझातीहै
जिंदगी की हर बुराई  से   बचना
और अच्छाई   को अपनाना, वो हमें सिखाती है

दर्द लेती है वो हमें लाने में
और हमें भी दर्द सहना वो सिखाती हैजिंदगी के कितने पहलु,  वो हमें दिखलाती  है
खुदा के बाद वो ही तो है ,जो हमें नज़र आती है
जब भी कोई परेशानी होती है
व्ही  हमारे रूबरू आती है
और जिंदगी का आयना हमें दिखाती है

जिंदगी कैसी है,  क्या  है
ये माँ ही तो है जो हमें समझती है, और समझाती है
कभी संस्कार कभी आशीर्वाद,
कभी दुआं और कभी शक्ति बनकर,
हमें चलना सिखाती है
हमें जीना सिखाती है
ये माँ ही तो है जो परछाई  बनकर हमारे साथ है
ये माँ ही तो है जो दुआ  बनकर,
हमेशा  हमारे पास  है

शालिनी गुप्ता  
    

आत्मविश्वास

वक्त का दौर है ये
वक्त ये भी यू ही गुजर जायगा

जो भी तूफ़ा,  जो भी मंजर सामने आयगा
उससे हमें गुजर कर जाना ही होगा
हमें न अब यू उससे घबराना  होगा
खुद के  साथ से और तकदीर केहाथ से
अब हमें हाथ मिलाना ही होगा
 
वक्त का दौर है ये,
वक्त ये भी यू ही गुजर जायगा

हम वाकिफ है हर सच्चाई से और हर बुराई से
साथ हमें अब सच्चाई का निभाना ही होगा
कब तक यू ही, मर मर कर जिए हम
अब जिंदगी को  हमें,  जी  जाना ही होगा
अपने आपको पहचान कर और जानकर
आएने के सामने  आना ही होगा
भागकर नहा, घबराकर नहीं
इस जिंदगी को जिंदादिली से बदल जाना ही  होगा

होसले बुलंद रख, खुद को  खुद के पास रखकर
मन की आवाज़ को सुनना ही होगा
और फिर ये फेसला हमारा नहीं, खुद खुदा का ही होगा
और तब इस जिंदगी का रुख कुछ और ही होगा
 

वक्त का दौर है ये
वक्त ये भी यू ही गुजर जायगा |

शालिनी गुप्ता

अहसास

तुम चले जाते हो
तुम्हारा प्यार मेरे साथ रहता है
तुम चले जाते हो
तुम्हारा विश्वास मेरे साथ रहता है
तुम चले जाते हो
तुम्हारा ख्याल मेरे साथ रहता है
तुम चले जाते हो
तुम्हारी हिम्मत तुम्हारी आस और तुम्हारी प्यास मेरे साथ रहती है
तुम चले जाते हो
पर तुम्हारी जिंदगी मेरे साथ रहती है
तुम चले जाते हो
तुम्हारा इंतज़ार मेरे साथ रहता है
तुम चले जाते हो
पर तुम्हारा हाथ मेरे हाथ मे रहता है
तुम चले जाते हो
पर तुम्हारा साथ मेरे साथ मे रहता है
तुम चले जाते हो
पर तुम्हारा अहसास मेरे पास रहता है

शालिनी गुप्ता

An Award

Dedicated to My Revered Leaders

Thy put every ounce of thy energy & ability
In each of the job enshrined to thee
Thy kept thy enthusiasm
Everytime it plunged, thy made an extra efforts & caught hold of it
Thy worked with determination
To come upto the trust & expectation bestowed upon thee
Thy took every work with interest
And it worked not as work, But as "stimuli"
Thy continue feeding thy interests
And they resulted in feeding thee
Thy did not get it my friends
It just came thy way
As nothing but recognition of thy
Dedication, discipline & Unflinching attitude
Harnessed & sharpened through
Guidance & support of thy "Revered Leaders"
Thy got an opportunity to work with
Thy Award is nothing but
A manifestation of all dear's & near's
Blessings, prayers & support

Raj Gupta

Thou Sober - My Boss

Deicated to my friend, philosopher & guide

Thy have great cognizance, committed to job
Punctual of time, thy praised in and out
Thy bewitching smile creates spellbound effect

Thou Sober, calm & cool, possessed delicate touch
Warmth of expression with a great human touch
Articulation of speech, calmness with intellect
Flicker on thou countenance, beauty of his patience
Carve me to learn this art,

Passion for excellence,
Less paperwork & red tapism, open to ideas
Possess enormous energy, leadership quality to lead others
Thou eyes expressive, filled with truth
Thou thy boss, A little unconventional

Thou I thank for thy caring touch
I pray Almighty from the core of my heart to
Shower HIS choicest of blessings on him

Raj Gupta

एक दोस्त - क्या खोया, क्या पाया

ना जाने क्या खोया, ना जाने क्या पाया
एक अच्छा सा दोस्त जब कुछ पल के लिए जीवन मे आया
संस्कार से ओतप्रोत,  आँखों में सच्चाई,  मन साफ़
उसके अंदर कुछ तो है  बात, कुछ तो है बात क्योंकि
दम तोडती मानवता, खोकले  होते विवेक और
धुंधली होती आशा के बीच, उसने नवसंचार जगाया
पाकर उसको ऐसा लगा जेसे मेरे जीवन में भी कुछ परिवर्तन  आया
टूटता  हुआ विश्वास लोगो पर से शायद  बिखरते  बिखरते कुछ संभल पाया
हसना भूलने लगा था सच मे, उसका साथ पा कर कुछ पल तो हंस पाया
जाते देख अपने से दूर उस दोस्त को, हर्दय से उमड़ वेदना आई
पलको को डाला आँखों पे, छलकने से आँखों को पलके  भी ना रोक पाई
पर उसकी खुसी थी जाने मे, और मेरी ख़ुशी थी उसको उसकी ख़ुशी पाने मे
शायद फिर मुलाकात हो ना हो, बात हो या ना हो
फिर भी मेरे अहसास, मेरी दुआ उसके साथ है,
दूर होकर भी वो दोस्त मेरे पास है
ना जाने क्या खोया, ना जाने क्या पाया
एक अच्छा सा दोस्त जब कुछ पल के लिए जीवन मे आया
................राज गुप्ता

INSPIRATION FROM THOU SOUL

Sudden glimpses of
Resemblance
Took thy heart
To thou memories
Back to someone
Thou provided thy inspiration
Thou taught thy glow of life,
Thou cherished thy cognizance
Thou affected thy conscience
Thou helped thy in growth

Thou possess
A little dark complexion
Flowing of serene countenance
Make thou unique
Thou eyes filled with caring touch
Thou delicate movements
Soothed my heart
Like a fresh morning air

Thou sometime flicker on my psyche
Though I never met thou
Never talked thou
But stole thou
Divine rhythmic beauty
And enlightened thy soul
with sparkle of thou heavenly glow

Saying
Thy must go on
Thy have to rise
Thy have to touch the sky

Thou gives me courage
In thy despair
Thou give me soothing touch
When I need it
Thou do so much
For thyself
Thy wonder
From where thou inspire
Even after being in soul form
As thy materialistic world
Burned thou body
For thy lascivious charm

Thy want to
Thank thou
For thou inspiration but;
Thy couldn’t muster
Courage

Thy prayer for
And thy cherish the belief
Thy may get chance to
Thank her in heaven

Raj Gupta

Thy Sensation of Heart Sole Guide to Truth

Thou heavenly soul, Thou find
Sincerity Peeping out, From heart of heart
Thou eyes glistens, Thou heart bubbles
Thou psyche tickles, Curse thyself for thy sincerity
Feels, Burdon on it soul, Try in desperation to trickle out
But, Succumb to incessant pain, Tricks of outer world
Become desperate and realize the Burdon of his sincerity
On his soul
Thou think, Will thy get the courage
To breath sincerity and come out with truth
Thy sincerity cry to thy gal,
Thou thy admire, Thous thy care
Thou thy carress into his very soul
Thou I feel is difficult
But still have glimpses of thy sincerity
Thou thy sensation of heart, Sole guide to truth
Thou the gal sober, Possessed delicate touch
Warmth of expression, Articulation of speech
Thou eyes expressive, Filled with truth
Thou the cute, A little unconventional
But, the rhythm of thy eyes, Sincerity of thy thoughts,
Civilized gesture, Beauty of patience
Calmness with intellect, Flicker on thou countenance
Could thy pain, Thy sincere creature
If so, Where thy sincerity could survive,
Thou thy sensation of heart, Sole guide to truth

Raj Gupta

Money! Money! Money!

Money ! Money ! Money !
Everyone is running after money
People are sucking blood of kith and kin for money
Patriots turned into traitor for money
Lover’s flirt for money
People lie for money
And lot more je nai sais quoi for money
I gasped, when I saw a guy running passionately
Was he after money ?
No ! No! No! Then why he was running
In this materialistic world?
Was he nothing to do with Money
Of course, yes, as he said
Your money I have to return gentlemen
And he put some money in my hand
I feel happy and Gleeful to get such people on earth
Who are so honest and sincere for thyself
And realized that people are still honest
And Honesty survives over wickedness
Per my psyche and cognizance
Thou to these people only the mankind is
Cherishing the Dream Of a true Society

Raj Gupta

Melancholy & Hope!

Thy eyes are quintessentially glistened
In anticipation, full of expectation & caring touch
Dst melancholic jingle, in the hope to mingle
Love ist cruel, terrible and brutual to thee
Thou ist emotional, often get stubborn tears
Try unsuccessfully to blot away but fail
As they keep leaking from corner of thy eyes
When thy talk, sob bubble up
Sometime thy sound strange, as if,
Gulping down multiple self pitying sobs
Peeping into very soul, thou find thy in melancholy
Thy waana fly, as if
today is the day, after which she'll die
Thy wanna someone who can take her in thou arms
Can carress thy into thou very soul
Thy wanna bare everything thou ist
Thy dreams, thy hopes and thy despairs
Thy awaits in anticipation & hope...
Magnanimity of thou heart, Empathy with others
Make thou wish good future for thee
Thou wanna thy to be gleeful, full of effervescence
Though thy beloved, a bit unconventional.
 .......................................Raj Gupta

Wretched Cry

Standing on the crowded stand
Waiting impatiently for my bus to come
As I was getting late as everyone else
In city hectic life
I heard sudden whining, I looked around but
None could my eyes penetrate
I again heard whining, And felt something touched my leg
I looked down with inquisitive eyes’s

Surprised to find, A frail child clogged
In rags superciliously looking at me in expectation
What expectation? Was it money only
He was looking forward from me or something else
I realized the beauty of the child
Marred by black wind of poverty

I inquisitively asked his name
He said, I am “Shankar”
“SHANKAR” put in my psyche the picture of almighty “Shankar”
I thought of taking him to my place and brought him up
But couldn’t muster courage

Suddenly my Bus came, I boarded immediately
After flushing one rupee coin in his hand
Was it human on My part ?

Raj Gupta

Catastrophe, Catastrophe

Skies are flourishing
Flower blossoming
Stars shining delicately
Everything is quintessence
Ambience filled with vigor
Enthusiastically calling upon Adam and Eve
To be gleeful
Eve is in Melancholy
Perceiving some future catastrophe
As every human being
Eve don’t see the blooming of flower Twinkling of stars
But shrieked and cry Catastrophe, catastrophe
My dear Adam Catastrophe
Adam desperately Make attempt to get eve out of Future catastrophe
Argues, don’t afraid My beloved I’m with you
Eve told She dreams She would lose Adam
Somebody will snatch her From Adam
Adam laughs Console her in vain
As it is human nature that compel them
To mar the beauty of present by perceiving the Catastrophe of Future
Thou is not sure It could be blessing
But human mind can Not accept it
Human mind'll continue to lose Its equanimity
Ignore beauty of Nature
For some unforeseen Catastrophe

Raj Gupta

ईमानदारी

ईमानदारी

एक दिन राह चलते चलते मिली मुझे ईमानदारी
मैंने पुछा, कहिये क्या करे आपकी खातिरदारी
वो रुआंसी होकर बोली, चलिए आपने पहचान तो लिया,
मेरा तो अस्तित्व ही मिट गया, आपने जान तो लिया
भारत मैं तो पैदा हुई
इसे कैसे भूल सकती हूँ
जब लोग मुझे नही चाहते
तो मैं कैसे रह सकती हूँ
मेरी दूसरी बहन (अर्थात बेईमानी)
जिसने मुझे धोखा दिया
मेरा घर उजार कर
अपना घर बसा लिया
अब तो लोग यहाँ तक
उसे प्यार करने लगे हैं
की मेरे चाहने वाले को
मुह पर ही गाली देने लगे हैं
इक्का दुक्का कहीं मेरी प्रेमी को देख लेते हैं
तो बहन के प्रेमी मिलकर उसका गला घोट देते हैं
-----राज गुप्ता

तिनके तिनके, चुनके चुनके - गीत

तिनके तिनके, चुनके चुनके
बनाया है मैंने ये आशिया
अरमानो को मेरे मिटाने चले हो
दुनिया को मेरी लुटाने चले हो 
तिनके तिनके, चुनके चुनके
बनाया है मैंने ये आशिया


तुझे बेवफा मैं कह ना सकू,
तुझसे दूर भी मैं रह ना सकू,
ला......ला.....ल....ला ...
तू है मेरी मोहबत सनम,
तुझ ही से है ये आसिया हमदम

तिनके तिनके चुनके चुनके
बनाया है मैंने ये आशिया
तुझको खुशी है इसी से अगर,
मिट जाऊँगा मैं तेरी डगर
क्यो  आसूं है तेरी पलकों में मगर
तड़पती क्यूँ है तू मेरे लिए

तिनके तिनके, चुनके चुनके
बनाया हे मैंने ये आशिया
आस है तेरी मुझसे अगर,
प्यास है तेरी मुझसे अगर,
आ जाओ बाँहों में मेरे सनम
आ जाओ बाँहों में मेरे सनम

तिनके तिनके , चुनके चुनके
बनाया है मैंने ये आसिया------------राज गुप्ता

तुझको चाहा है - गीत -

तुझको चाहा है, तुझको पूजा है
तेरे बिन न कोई, मेरा दूजा है

हंसती है जब जब यू
लगता है मुझको यू
छुपा रही है, छुपा रही है,
अपने प्यार की खुसबू,खुसबू,खुसबू

तुझको चाह है तुझको पूजा है
तेरे बिन न कोई मेरा दूजा है

आती है जब जब तू
मिलती है तब तब तू,
पास आ कर ,मुस्कुराकर
मिलके मुझे, दूर जाकर
तेरा यू शर्माना

तुझको चाहा है, तुझको पूजा है
तेरे बिन न कोई मेरा दूजा है

____राज गुप्ता

परिवर्तन

परिवर्तन, परिवर्तन,परिवर्तन
सब चाहते हैं परिवर्तन
आख़िर कैसे आए ये परिवर्तन
चलो चले बाजार से ले आए ये परिवर्तन
या क्यों न ख़ुद के अन्दर ही इसको ढूंड पाये

परिवर्तन अपने अन्दर से ही आएगा
विचार आशाओ में नवसंचार जगायेगा
आत्मा की सीलन भरी कोठरी के द्वार को खोलकर
उसमे नव निर्माण कर पायेगा

परिवर्तन के लिए आओ एकजुट हो जाएँ
एक साथ मिलके सब कदम बद्गना सिख ले
एकता के स्वर में गीत गुनगुनाना सिख ले
छोरे झिझक अब तो कुछ नया करके दिखाएँ
सिर्फ़ अपने संभाग में ही नही पुरे भारत में अपनी पहचान बनाए

आओ प्रतिज्ञा करे
हमें यूँ ही संघर्ष करते जाना है
लक्ष्य लिया है तो उनसे बढ़कर कर दिखलाना है

अस्तित्व है हमारा अपने आपसे, इसको न कभी भुलाना है
परिवर्तन लाना है हमें परिवर्तन लाना है
आशा ही नही पूर्ण विस्वास है की परिवर्तन का आगाज होगा
अब नही तो कब जब आपका साथ हमारे साथ हो
शायद हम कामयाब हो रहे हो दोस्तों
दुश्मन भी हो रहे हैं अब तो मेहरबान से
_______________राज गुप्ता





साख राजनीतिक पार्टी की

एक हवाला कांड को
चुनावी मुद्दा बना दिया
निकला रथ और
पुरे मुल्क में घुमा दिया

हम पाँच साल टिके हैं
भ्रस्ताचार में पले हैं
इसी में बढे हैं
चाहे घिसे हैं या पिटे हें

यूँ काण्ड हुए हैं बहुत अगर
अनुभव दिया हैं हर एक न मगर
वो हर्षद काण्ड हो, चीनी कांड हो
या फिर हवाला काण्ड हो

हम पहले भी हर काण्ड से बच गए
और अब भी बच जायेंगे
चोर है हम
पर जनता को हम चोर नही आयेंगे

चंद्रास्वामी का मुखोटा पहन
हम हर काण्ड समाप्त करते जायेंगे
हमें आशा ही नही पूर्ण विस्वास है
क्योंकि चोरी के वाद में हमारी अपनी ही साख है

___________राज गुप्ता

ऐसा क्यूँ?

नही चाहता था शुन्य में टकराए मेरा उच्छावास झट
कयूँ न उसके पास हो आए एक बार
लेकिन फिर अचानक , हृदय से झट उमर वेदना आई
मंद मंद था ऊलास, चाहता था उसका साथ
उसको भी था सहर्ष स्वीकार, उसका भी था यही विचार
लेकिन समक्ष थी सामजिक मजबूरियां
सोचकर जिनके विषय में मैं हो गया उदास
उदास स्थिति में मन में आया विद्रोही भावः
सोचा क्यों ये समाज, क्यूं ये सामाजिक रीतिया
जिनका मानवता से है विरोधाभास
रोकती क्यों है मानव को ये सामाजिक कुरीतिया
क्यों नही समझती ये मित्रो की मजबूरिया

Raj Gupta

कुर्सी

हमारा धर्म चला गया
हमारा ईमान चला गया
हमारा गौरव चला गया
हमारी मानवता मर गई

संस्कार पीछे , सदियों पीछे छुट गए
आत्मा शरीर बन गई
सजावट मैं बहाकर अपनी लग गई

किया प्रचार हमने की, हमारा एक ही वादा
बातें कम काम ज्यादा
यूँ काम मैं रखा ही क्या है
बातो का अपना ही मजा है

यूँ मुर्ख जनता से पूछा
जो हमें सत्ता मैं लायी
हमने क्या किया, क्या किया
सिर्फ़ बातें ही बनाई ,सिर्फ़ बातें ही बनाई

आज सत्ता मैं हम हैं
बाते बनाना हमारा धर्म है
ईमान है, गौरव है, शान है
इस तरह कुर्सी को बचाए रखना
एक स्थिर सरकार की पहचान है

______________राज गुप्ता

धुंधला सा जीवन

धुंधला सा जीवन,
धुंदली सी तस्वीर
क्षित विक्षिप्त मानवता
दम तोड़ता विवेक

जानते हैं हम सभी
पर जानता नही
चाहते हैं हम सभी
पर चाहते नही

जी रहे हैं सभी
एक ख्वाब सजाके
ख़ुद को मिटाके
ख़ुद को लुटाके

जी रहे हैं सभी
यूँ सभी को जीना हैं
चल रहे हैं सभी
यूँ सभी को चलना है

भाग रहे हैं सभी
मौत के सचाई से
पा रहे हैं आश्रय
विक्षिप्त बिखरी हुई
मानवता की गहराई मैं
आसा है नवसंचार मैं
सब है सब का विचार हैं

धुनदलका घटेगा
तस्वीर साफ़ होगी
मानवता मुस्कायेगी
वीवेक को जब साथी
के रूप मैं
अपने पायेगी
_____________राज गुप्ता




When you are somebody!

When u are somebody
Do not forget those
Who loved you, supported you,
Carrassed you deep into their soul
Cried and shed ur tears through their eyes
Waited for you
Prayed for you,
Cried for you,
Held your hand when you needed the most
Gave tehir shoulder for your sobs
Stood next to you when you were sick
Helped you recover and rejuvenate
Brought effervesence and joe de vivre
Holded you when you were about to fall
When you were nobody

When you are somebody
Do not forget those
Who were with you when you were nobody

The Rustic Poise

Thy hast a poise and charm,
Thy carefree attitude towards life
Flickering innocence on thy countenance
Make thy a special and one of few
Thy ability to connect
Confidence in stride, calmness in strife
Volition to make it big on her own
Make thy a special and one of few
Keen eyes, possessing spark,
Rhyme superciliously
Make thou dabble in thee
And know thee more
Thy upbringing
Disciplined childhood
Enmeshed with rustic background
Make thy special and one of the few
Thy wanna break the shackle
Tread the path nobody has trodden so far
Wanna create thy own roadmap
Touch what none in closeness has touch so far
Thy thou wish all the success!

Raj Gupta