हर रात अंधियारी है
हर दिन उजियारा है
हर निराशा अंधियारी है
हर आशा उजियारा है
हर नाउम्मीदी अंधियारी है
हर विश्वास उजियारा है
जीवन का यही सार ये सारा है
सत्य है जीवन का यही ये सारा है
पानी की तरह बहती ये जीवन धारा है
रुकता नहीं कुछ भी ना कुछ कभी ठहरा है
रोशनी सूरज की और रात का अँधियारा दोनों का ही संदेश ये सारा है
समय का चक्र चलता ये यह सारा है
जो गम और खुशियों दोनों का साँझा बटवारा है
रोक नहीं सकता कोई प्रकृति के नियमों को
खेल ये प्रकृति के नियमों का सारा है
चमत्कार भी होते हैं अगर विश्वास रखो खुदा पर
जिंदगी का खेल ये सारा है
गर हार हमारी है तो जीत का विश्वास भी हमारा है
शालिनी गुप्ता
No comments:
Post a Comment