ठहराव

हर उन्मुक्त परिंदे को आसमां चाहिए
इसी तरह हर इंसान को एक पहचान चाहिए
आसमां है परिंदों और इंसा दोनों के लिए
बस हर किसी को एक उड़ान चाहिए

इंसां भी परिंदो की तरह उन्मुक्त होकर ही जीना चाहता है
न कोई बंधन न कोई बेचैनी
इंसां भी तो बस उड़ना ही चाहता है

उड़ान चाहे विचारो की हो
चाहे कदमो की हो
बस हर चीज़ को छोड़कर
हर कोई अपने आसमां को छूना चाहता है
जीना चाहता है खुलकर और
बस अपने मकसद को छूना चाहता है
  
परिन्दे तो ज़मीं पर आते है कभी कभी
पर इंसां तो आसमां में ही उड़ना चाहता है
अपना अस्तित्व और अपना वज़ूद पाने के लिए ज़मीं को छोड़ना चाहता है

आसमां को छूने के लिए परिंदो की तरह ज़मीं को भी अपनाना होगा
उड़ते उड़ते वह भी बनाते हैं घरौंदा अपने लिए इसलिए
इंसान को भी घरौंदा तो बनाना होगा
आसमां को छूने के लिए जमीन पर भी तो कदमों को लाना होगा और
अपना एक आशियां बना फिर अपने आसमां को पाना होगा

शालिनी गुप्ता 


  


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