बढ़ती दूरियां

बेज़ुबाँ  सा सारा  जहां  हो गया है.       
इंसा से ही इंसा के दरमियां फ़ासला यहां हो गया है      

हालात तो ये ना थे
इंसा  से जुदा, तो इंसा ना थे
कुछ तो था अहसासों का, जज्बातों का सिलसिला
पर आज का ये वक्त हमें कहाँ  ले चला

कुछ तो इंसा खुद ही अलग हो चला था
आज वक़्त ने उसे खुद ही अलग कर दिया
खुद अपने ही नामोनिशां छोड़ कर जाता था इंसा
आज तो  वक्त ने इंसा  का ही नामोनिशां कम कर दिया हैं

इससे इंसा को सीखना होगा 
कि आपस मे हमेशा मिलकर ही  चलना होगा  
यू दूरियां, यूँ फ़ासले ना बढ़ाए 
जो इंसा ही इंसा को देखने को  तरस जाये

वक़्त जो आज हैं वो कल ना होगा 
ये इंसा को अब समझना होगा 
प्यार को, जज्बातों को, अहसासों को बढ़ाए
ताकि कल दूरियां बना कर खुद  
एक दूसरे से ही जुदा ना हो जायें 

बेजुबां सा सारा जहां हो गया हैं 
इंसा से ही इंसा के दरमियाँ फ़ासला यहां हो गया हैं 


शालिनी गुप्ता 

1 comment:

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