तो मंजिल तक हमें खुद ही जाना है
खुद को ना परेशां कर , खुद को ना बेचैन कर
ज़िंदगी को अभी तो थोड़ा ही जाना है
राहें मुश्क़िल भी होंगी
मंजिल दूर भी होगी
पर कदमो को हमें तो हमेशा आगे ही बढ़ाना है
उदासी और मायूसी को भी अपनी हमें खुद ही तो मिटाना है
ज़िंदगी सब कुछ नहीं देती
हमें ज़िंदगी से खुद ब खुद लेते जाना है
बाँट दे खुशियाँ सबको
ग़मो को भी तो झोली में अपनी सजाना है
सूरज की तपन के बाद बारिश की बूंदो के अहसास को
तभी तो हमने जाना है
सूरज की तपन के बाद बारिश की बूंदो के अहसास को
तभी तो हमने जाना है
हाँ मुश्किल तो है ये सफर
पर इस सफर को हमें हँसते हँसते हंसी बनाकर बिताना है
ज़िंदगी में, मुश्किलें तो है थोड़ी
पर आंसा भी उन्हें हमें खुद ही बनाना है
पर आंसा भी उन्हें हमें खुद ही बनाना है
हारना नहीं हमें किसी से, चाहे हालत हो या मुसीबतें
हमें हर राह पर बस आगे बढ़ते जाना है
हमें हर राह पर बस आगे बढ़ते जाना है
और ज़िंदगी के इस सफर को आसां बनाना है
शालिनी गुप्ता
शालिनी गुप्ता
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