फिर वही भयानक मंजर छाया है
हर इंसां को बच कर चलना है
आँधियों के रुख को मोड़ना है
फिर एक वीर सिपाही की तरह
युद्ध के मैदान पर खड़े होकर
इस जंग को तो अब लड़ना है
जीत होगी ये विश्वास रखना है
उम्मीद का हाथ अब नहीं छोड़ना है
मायूसी भी है छाई
उदासी है घर घर आयी
फिर भी खुशियों का इंतज़ार तो करना है
यू इंसां को नहीं हार कर चलना है
आस का, विश्वास का, दामन थामे रखना है
डर कर नहीं, लड़ कर, इस जंग को जीतना है
अब जिंदगी का सामना आत्मविश्वास
और खुद के साथ से ही करना है
जीतना है खुद से हर पल
और खुद को ही जीतना है
शालिनी गुप्ता
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