मेरी बेटी

आज मेरी बेटी, बड़ी हो गई है
थोड़ी अल्हड़, थोड़ी नकचढ़ी हो गई है
संभाला था जिसको दामन में अपने
आज वो मेरे दामन से बड़ी हो गई है

सहारा बनकर वो आज मेरे साथ खड़ी हो गई है
उजाला है वो मेरे घर का
हर अँधियारे को मिटाकर
वो एक सूरज की किरण हो गई है
आज मेरी बेटी बड़ी हो गई है

उंगलियां पकड़कर चलना सिखाया था जिसे
आज वो हाथ हमारा थामकर खड़ी हो गई है
हर मुश्किलों को पर कर वो
जिंदगी की सीढ़ियों पर चढ़ती उतरती
ज़िंदगी में अब और भी परिपक्व हो गई है

ज़िंदगी के हर सफर में
मुस्कुराकर चलना सिखाया जिसे
वो इस सफर पर अब
हंसकर चलना शुरू हो गई है
आज मेरी बेटी बड़ी हो गई है


शालिनी गुप्ता


No comments:

Post a Comment