मेरा हमसफ़र

कभी ज़िंदगी में कोई कमी होने नहीं दी
आँखों में तूने कभी नमी होने नहीं दी

राहे कितनी भी मुश्किल क्यूँ ना हो
तूने ज़िंदगी में कोई मुश्किल होने नहीं दी

हर कदम साथ चला तू मेरे
कभी ज़िंदगी में तन्हाई होने नहीं दी

हर बात पढ़ ली मन के पन्ने की तूने
ज़िंदगी एक किताब बनने ही नहीं दी

पास हर पल रहा तू मेरे
दूर होने की तम्मना कभी होने ही नहीं दी

ज़िंदगी की हर खवाहिश पूरी की तूने
ज़िंदगी अधूरी होने ही नहीं दी

कभी ज़िंदगी में कोई कमी होने नहीं दी

शालिनी गुप्ता

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